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शा अचलचन्द वालचन्दजी जैन, पूना

पूना जैन संघ का पिछ्ले ३० - ४० वर्षॊं का इतिहास लिखा जाय, तो उसमॆं एक नाम हर पन्ने पर झलक उठॆगा - अचल जैन! क्या बूढे और क्या जवान, क्या बच्चे और क्या महिलाएं, क्या अमीर और क्या गरीब - समाज के हर तबके के लोग अचल जैन कॊ व्यक्तिगत रुप से जानते हैं.

विगत वर्षों में कई जिनालय - उपाश्रय - धर्मशालाओं के निर्माण तथा जिनमन्दिरों की अंजनशलाका - प्रतिष्ठा में शुरु से अंत तक आपने जी-जान से अपना यॊगदान दिया है. कात्रज गिरिशिखर पर तीर्थपति श्री महावीरस्वामी के विराट जिनमंदिर - आगममंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा के भव्य महोत्सव में शानदार आयोजन के सूत्रधार अचल जैन थे. तत्पश्चात श्री शंरवेश्वर पार्श्वनाथ जिनमंदिर की अंजनशलाका - प्रतिष्ठा का सुचारू आयोजन किया. अहिंसा भवन - दादावाडी की प्रतिष्ठा का महोत्सव अचल जैन की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. आज अहिंसा भवन अपने आप में एक मिसाल है. इसके बाद तॊ हर प्रतिष्ठा महॊत्सव में अचल जैन की उपस्थिति अनिवार्य बन गई - सॊलापुर बाजार, फ़ातिमानगर, बिबेवाडी - विमलविहार, डी. एस. के. चंद्रदीप..... और गॊटीवाला धडा द्वारा नवनिर्मित श्री आदीश्वर महाराज ऒसवाल मंदिर की ऎतिहासिक और भव्यातिभव्य शानदार प्रतिष्ठा महोत्सव का समायोजन इतना सुव्यवस्थित ऒर नयनरम्य था .... कि उसकी यादें लॊगॊं के दिलॊदिमाग में अभी तक बरकरार है.

इन सारे महोत्सवों के ऊपर सिरमौर समान - प्रतिदिन जिनपूजा करनेवाले अचल जैन ने अपने अग्रज बंधु श्री छगनराजजी जैन को पूर्ण सहकार्य देते हुए - गुलटेकडी में अपने निवास के पास श्री संभवनाथ भगवान का जिनालय स्वद्रव्य से निर्मित करवाने का एवं अंजनशलाका - प्रतिष्ठा महोत्सव का महान पुण्य भी अर्जित किया.

समाज को हर कार्य में अत्यंत उपयोगी होनेवाली - गोटीवाला धडा द्वारा निर्मित - नाकोडा भवन जैन धर्मशाला के निर्माणकार्य में इन्होंने अपना तन, मन और धन लगा दिया.

पूना शहर में पहली जैन एम्ब्युलेन्स शुरु की. २० वर्ष से चलाई जा रही छगनलाल वालचंदजी गांधी जैन भोजनशाला, जो अभी दादावाडी परिसर में चल रही है, उसकी स्थापना में जैन युवक संघटना के अंतर्गत रहकर योगदान दिया. जैन युवक संघटना के उपक्रम से आज से करीब १० वर्ष पहले निकाले गये श्री सम्मेतशिखरजी आदि महातीर्थों के संघ में आपकी अदभुत आयोजनशक्ति का परिचय लोगों को मिला. यह संघ पूना के जैन समाज में एक "माइलस्टॊन" साबित हुआ - जिससे प्रेरणा लेकर कइ बडे संघ निकाले गए एवं निकाले जा रहे हैं.

`राजस्थान शिक्षण संघ' की स्थापना की, जिसके उपक्रम से स्कूल प्रारंभ करने की योजना बन रही है.

पूना शहर में जितने भी मंडल चल रहे हैं, उनका एक संगठन बनाकर उसे श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक महासंघ की पूना इकाई में प्रतिरुपित किया, जिसके श्री अचल जैन संस्थापक अध्यक्ष हैं. महासंघ के माध्यम से "महासंघ दर्पण" मासिक का ये प्रकाशन करते हैं. महासंघ द्वारा धर्मभूषण, समाजभूषण ओर उद्योगभूषण - इस तरह के ३ पुरस्कार प्रति वर्ष पूना में इन क्षेत्रों में अपना अमूल्य योगदान देनेवाले सुयोग्य व्यक्ति को दिए जाते हैं. "साधर्मिक सुमंगल योजना" के अंतर्गत महासंघ द्वारा प्रतिमाह लाखों रुपए की धनराशि इकट्ठी कर साधर्मिक बंधुओं को मेडीकल सहायता दी जाती है - जिसके अंतर्गत बायपास सर्जरी, केन्सर आदि सभी छोटी - बडी व्याधियों के ऑपरेशन्स सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं. मानवता के इस मसीहा के नेतृत्व में महासंघ की पूना इकाई को फलता - फूलता देखकर आनंद होता है. इनका कहना है कि बाहर के लोगों की हमने बहुत मदद की, लेकिन हमारे अपने भाई जो आर्थिक दृष्टि से पिछ्ड रहे हैं, उन्हें आगे लाने का भगीरथ कार्य हमें करना है. इसीलिए तो, गोटीवाला धडा व्दारा निर्माणाधीन `साधर्मिक नगर' योजना का `प्रोजेक्ट चेयरमेन' आपको बनाया गया है. इसकी जमीन ली जा चुकी है, एवं वहां २५० से ४०० स्क्वेयर फीट के फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं.

किसी भी बडे फंक्शन में सफलतापूर्वक सूत्रसंचालन करना जहां इनके बाएं हाथ का खेल है, वहीं शासन के किसी भी कार्य में चढावे बोलकर अपेक्षा से दुगुनी - तिगुनी धनराशि एकत्रित करने में इन्हें महारथ हासिल हुई है.

"राजस्थानी जैन बंधु समाज" के बैनर तले दादावाडी के चुनावों को आपने सुचारु रुप से कार्यान्वित किया. किसी भी सामाजिक समस्या के वक्त सबके बीच समन्वय साधकर आपने कार्य को आगे बढाने में महत्वपूर्ण रोल अदा किया. पूना में जैन समाज के चारों संप्रदायों के "श्री जैन युवक महासंघ" को आपने प्रयोगात्मक रुप दिलवाया जिसके बैनर तले प्रतिवर्ष भगवान महावीर जन्मकल्याणक के दिन दोपहिया गाडियों पर "अहिंसा रेली" निकाली जाती है, जिसमें जलती दोपहरी में हजारों नवयुवक शामिल होकर जैन ध्वज को लहराते हुए शहर के मुरव्य राजमार्गों से गुजरकर जिनशासन की जयजयकार करते हैं.

धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति की मशाल हाथ में लेकर निकल पडे अचल जैन व्यावसायिक क्षेत्र में भी अपने अग्रज श्री छगनराजजी, भतीजे विदेश, तथा पुत्र के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए इलेक्ट्रिक - इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की नामी - गिरामी कंपनियों के डीस्ट्रीब्यूटर है. तो दूसरी ओर `अचल संपत्ति' के सर्जन यानी कि भवननिर्माण के व्यवसाय में भी अपनी जडें जमा चुके हैं.

अक्सर हम देखते हैं कि व्यवसाय और समाजसेवा के क्षेत्र में सफल व्यक्ति ज्ञान और तप में पीछे ही रहता है, क्योंकि इन सब चीजों का तालमेल कैसे बिठाया जाय? लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा - कि हरफ़न मौला इस श्रावक ने गत वर्ष ही अपनी धर्मपत्नी के साथ `वर्षीतप' की दीर्घ तपश्चर्या अपने सब कार्यों को जारी रखते हुए की.

श्री विजयकुमारजी देवराजजी मेहता : इन्सान या देवदूत ?

९ जनवरी १९५२  के ९ अंकीय योग वाले शुभ दिन पुण्यनगरी पूना की पुण्यभूमि पर दानवीर श्रीमान शा देवराजजी मेहता की धर्मपत्त्नी श्रीमती सायरबाई  की पुण्यकुक्षी से जन्मे लोकप्रिय समाजसेवी श्री विजयकुमार देवराजजी मेहता सम्पूर्ण जैन समाज के एक महत्वपूर्ण व्यक्तिमत्व के रूप में विख्यात हैं । आप एक धर्मनिष्ठ, सेवाभावी, कर्तव्यपरायण, उदारमना, सरलस्वभावी, श्रद्धानिष्ठ सुश्रावक हैं । आपने अपनी कर्मठ, समर्पित एवं अनुशासित कार्य प्रणाली से अपनी जन्मभूमि पूना का नाम सम्पूर्ण भारतवर्ष में अग्रणी स्थान पर ला खडा किया है । अपनी दक्ष कार्यप्रणाली के बल पर सजग रहकर समाज सेवा के विभिन्न अंगों को आपने प्रायोगिक रूप दिया । आपकी दक्षता , समग्रता एवं लोकप्रियता की कहानी अनेक संस्थाओं से आपके जुडाव के कारण स्वयं ही बयाँ होती है । अनेक संस्थाओं में व्यावसायिक संस्थाएं , आरोग्य संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थाएं. धार्मिक संस्थाएं, अन्धशालाएं तथा गौशालाएं आदि संस्थाओं से आपके सम्बंध दीर्घ काल से हैं । भगवान महावीरस्वामी के जीओ और जीने दो  इस महामन्त्र को आपने अपनी जीवन शैली में बडी दॄढता से ढाला है । अम्बावजी माता पर आपकी निःसीम भक्ति रही है । गत १५ वर्षों से आप हर महीने की पूनम को अम्बावजी जाकर माताजी की सेवा पूजा करते हैं। सन्तों के लिये आपकी भक्ति और संवेदना काफ़ी सराहनीय है। रात्रिभोजन त्याग, हर रोज प्रतिक्रमण , माह में पाँच उपवास, हर महीने पालिताणा और शंखेश्वर यात्रा, आदि आपने अपनी जीवन शैली का अंग बनाया है । अंध बच्चों का संगोपन और गौमाता की सेवा में आपकी विशेष रुचि रही है ।                                                                         

आपके द्वारा संस्थापित श्री विजयकुमार देवराजजी मेहता चॅरिटेबल ट्रस्ट अपने अनूठे सेवाकार्यों से सभी सेवाभावी संस्थाओं के लिये आज एक प्रेरणा-स्रोत बना है । श्री विजयकुमारजी द्वारा अपने सामाजिक कार्यों को अंजाम देने के उद्देश्य से गठित किया गया यह ट्रस्ट समाजसेवा के विविध कार्यों में तन-मन- धन से सहयोग देता आ रहा है । नेत्रहीन बच्चों की शिक्षा और संगोपन , गौमाता का संरक्षण और संगोपन , अनाथ बच्चों का पालन-पोषण, निर्धन मरीजों का इलाज , प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार जैसे कार्यों में ट्रस्ट  की विशेष रुचि रही है। अपनी नियोजनपूर्वक कार्यप्रणाली से ट्रस्ट ने हर कार्य में अपनी विशेष छबि बनाई है । इस ट्रस्ट के माध्यम से विजयकुमारजी अपनी धनराशि का विनियोग समाजसेवा और पीडितों का दुःख-दर्द दूर करने के लिये करना चाहते हैं । यह ट्रस्ट अपने सेवाभावी कार्यों से समाज के लिये एक मिसाल बन चुका है ।

 

 

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